Saturday, April 25, 2020

किसने तोड़े हिन्दू मंदिर? (भाग 1)|| Who destroyed Hindu temples? (Part 1)|| Exposing Faizan Mustafa

आज हम बात करनेवाले हैं एक व्यक्ति की जिनका नाम है फ़ैज़ान मुस्तफ़ा। ये हैदराबाद स्थित जो NALSAR यूनिवर्सिटी है उसके कुलपति या वाइस चांसलर हैं। आजकल आप इनको वो जितने टुकड़े टुकड़े गैंग  वाले टीवी चैनल्स हैं उनपर भी कभी कभी डिबेट्स में देख सकते हैं। कभी रविश कुमार के साथ या कभी करण थापर के साथ। क्योंकि एक जैसे हैं तो इन चैनल्स पर ज़रूर दिखाई देते हैं ये। इनका अपना भी यूट्यूब चैनल है जिसपर इनका कहना है की ये क़ानून के बारे में उस चैनल के माध्यम से जानकारी देते हैं। जिन दिनों हमारे देश में वो जो राम मंदिर वाला मुद्दा है सर्वोच्च न्यायलय में जब उसकी प्रतिदिन सुनवाई चल रही थी, तो उन दिनों ये सज्जन भी प्रति दिन उसपर विडिओ डाला करते थे और अकेले इसी मुद्दे पर इन्होने लगभग 10 - 15 विडिओ डाले हैं। उद्देश्य वही था जो ये मुल्ला-मार्क्सवादी -मिशनरी गिरोह है उनका जो उद्देश्य होता है कि हमारे देश के लोगों को बरगलाना, वही इनके विडिओ का भी उद्देश्य था। हमारे देश के लोगों को ये जताना कि मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है, इस्लाम तो एक शांति का मज़हब है, इसने कभी भी मंदिरों में तोड़-फोड़ नहीं की। और इस देश की जो सनातन धर्म की मूल परम्पराएं हैं, वही घटिया हैं और उन्हीं के कारण ऐसी तोड़-फोड़ की घटनाएँ होती रही हैं।
आज हम जिस विडिओ की समीक्षा करेंगे उसमें इसने बताया है कि किस कारण से हमारे देश में जो मंदिर थे वो तोड़े जा रहे थे। टेम्पल डिस्ट्रक्शन के बारे में ये पूरे का पूरा विडिओ है इनका। अब ये लगभग सत्रह मिनट का विडिओ है लेकिन उसमें बीस से ज़्यादा गलतियां या झूठ मैंने देखे हैं तो इसलिए मैं एक विडिओ में वो सारा कुछ नहीं बता पाऊंगए। मुझे ऐसा लग रहा है की मुझे इसी के लिए एक सीरीज़ बनानी पड़ेगी।
तो आज हम शुरू करते हैं उसके पहले भाग से।



हमारे देश में बौद्ध मत जो है वो बहुत काम है, जो बौद्ध हैं वो बहुत कम रह गए हैं तो ये कमी आने का कारण क्या है, उसकी आज हम समीक्षा करने वाले हैं लेकिन फ़ैज़ान मुस्तफा ने इसके जो कारण दिए हैं, उन कारणों को जानने से पहले हम अपने देश के एक महापुरुष के विचार जान लेते हैं इसी विषय पर। इनका नाम था डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेदकर, जिन्हें हम बाबा साहेब के नाम से जानते हैं। बाबा साहेब ने इस्लाम पर, बौद्ध मत पर बहुत गहन अध्ययन किया था तो उनके विचार देखते हैं कि उन्होंने क्या कहा है (पुस्तक डाउनलोड करें) :-
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि हिन्दुस्तान में बौद्ध मत का अन्त मुसलमान आक्रान्ताओं के कारण हुआ हैइस्लाम बुतों के शत्रु के रूप में आया थासब जानते हैं कि बुत एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ मूर्ति हैइस शब्द का अविर्भाव ही दर्शाता है कि मुसलमानों के अनुसार गौतम बुद्ध का संप्रदाय, मूर्तिपूजा का  पर्यायवाची हैमुसलमानों के लिए मूर्तिपूजाऔर बुत परस्ति  दोनों एक ही थेयही कारण था कि मूर्तियों को तोड़ने का जो उनका उद्देश्य था, वो बौद्ध मत के विनाश का कारण बना
तो यहाँ बाबा साहेब ये बता रहे हैं कि आपने सुना होगा कि मूर्ति को बुत कहा जाता है। वास्तविकता ये है की उन्होंने जब मध्य पूर्व से निकलना शुरू किया, अरेबिआ से निकले तो उस समय तक चारों ओर, जो बौद्ध मत है, उसका बहुत अधिक प्रभाव था। तो जो बुद्ध की प्रतिमाएं थीं उन्हें तोडना शुरू किया और बुद्ध से बुत शब्द बन गया और आज इस बुत शब्द को मूर्तिपूजा का पर्यायवाची माना जाता है। आगे देखिए बाबा साहेब ने क्या कहा है :-
इस्लाम ने बौद्धों का विनाश केवल भारत में ही नहीं किया। बल्कि जहाँ-जहाँ भी इस्लाम गया उसने यही किया। इस्लाम के आरम्भ से पूर्व, बौद्ध मत बैक्ट्रिआ, पार्थिआ, अफ्गानिस्तान, गान्धार, चीनी तुर्किस्तान के अतिरिक्त, सम्पूर्ण एशिआ में व्याप्त था।

मुसलमान घुसपैठियों ने बौद्ध विश्वविद्यालयों को लूटकर उनका विनाश कर दिया। इनमें नालन्दा, विक्रमशिला, जगद्दला और उदान्तपुरी कुछ उदाहरण हैं। हमारे देश में जितने बौद्ध विहार थे उन्हें मिट्टी में मिला दिया।
सहस्रों की सन्ख्या में बौद्ध भिक्षुओं को भारत से भागकर नेपाल और तिब्बत में शरण लेनी पड़ी। भिक्षुओं की एक बहुत बड़ी संख्या को मुसलमान आक्रान्ताओं ने मौत के घाट उतार दिया। मुसलमानों की तलवार ने किस प्रकार बौद्ध भिक्षुओं का सर्वनाश किया इसे स्वयं मुसलमान इतिहासकारों ने ही लिखा है।

अब ये जिन लेखकों की बात कर रहे हैं, हम उनमें से केवल एक का उदाहरण लेते हैं। तेरहवीं सदी में एक इतिहासकार हुए हैं इस्लाम के, जिनका नाम था मौलान मिन्हाजुद्दीन सिराज। इनकी एक पुस्तक है जिसका नाम है तबकात-इ-नासिरी। उसमें से मैं एक उदाहरण ले रहा हूँ। वो इसमें एक मोहम्मद बख्तियारुद्दीन इख्तियार खिलजी नाम के आक्रांता के बारे में बताता है। 

उसकी सेना में दो भाई थे निज़ामुद्दीन और शम्सुद्दीन। मैं सन् १२४३ में शम्सुद्दीन से लखनौती में मिला था। तब उसने मुझे जिस घटना का उल्लेख किया था उसे मैं बता रहा हूं। बख्तियार खिल्जी दो सौ सैनिकों के साथ एक दुर्ग के द्वार पर पहुंच गया और दुश्मनों को सम्भलने का मौका दिए बिना उन पर हमला कर दिया। ये दोनों भाई भी उसके साथ थे। इन्होने जल्दी ही दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया और इनके हाथों बहुत सा माल-ए-ग़नीमत लगा। वहाँ के अधिकतम् निवासी मुंडे हुए सिरों वाले ब्राह्मण थे। उन सभी को हमने मार दिया। वहाँ बहुत सी पुस्तकें थीं। जब मुसलमानों ने उन्हें देखा तो तो उन्होंने उनके विषय में जानने की कोशिश की। लेकिन सभी पुरुष मार दिए गए थे इसलिए कोई नहीं बता पाया कि उन पुस्तकों  में क्या लिखा है। हमें बाद में पता चला कि ये जिसे हम दुर्ग समझ रहे थे वो एक विश्वविद्यालय (मदरसा) था। हिन्दी भाषा में इसे विहार अथवा महाविद्यालय कहते हैं।

तो यहाँ वो एकदम स्पष्ट करके बताता है कि ये जो मोहम्मद बख्तियारुद्दीन इख्तियार खिलजी था, इसने विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया था और वहाँ जितने बौद्ध भिक्षु थे, उन्हें मार दिया गया था। और यही बात बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेदकर ने बताई है। 
अब सुनते हैं फ़ैज़ान मुस्तफ़ा को कि वो इस विषय में क्या कहता है। इसने अपने इस वीडिओ में एक बहुत ही ड्रामैटिक कहानी सुनाई हैइसका कहना है कि एक बार जब ये चीन गया तो वहाँ एक टैक्सी चालक ने इससे एक प्रश्न कियासुनिए क्या कहना है इसका:-

उसका सवाल ये था कि इण्डिया में इतने काम बुद्धिस्ट क्यों हैं ? आपको मालुम है की ऑलमोस्ट एक दर्जन के करीब बुद्धिस्ट मैजोरिटी कंट्री हैं दुनिया में। जापान है, विएतनाम है, चीन है, थाईलैंड है, श्रीलंका है, म्यांमार है। और जहाँ बुद्धा का पूरा जीवन - यापन हुआ वहाँ आप देखिए की वो कितने कम हैं। मेरा सर शर्म से झुक गया क्योंकि फैक्ट ये है कि हमने बुद्धिस्ट को पर्सिक्यूट किया। हमने बुद्धिस्ट के टेम्पल्स को मोनस्ट्रीज को स्तूपास को डिस्ट्रॉय किया।  

हम्म..... 
हमने!
इस हमने में कौन कौन आता है, उसपे हम बादमें आएंगे लेकिन पहले ये जो पर्सिक्युट शब्द है, इसे समझ लेते हैं। ये शब्द अंग्रेजी भाषा का है जिसका अर्थ होता है - किसी को उसके मज़हब के आधार पर प्रताड़ित करना। वैसे आजकल इसमें नस्ल शब्द भी जोड़ दिया गया है लेकिन मूलरूप से ये जो शब्द था , ये उस समय उपयोग किया जाता था जब किसीको उसके मज़हब के आधार पर प्रताड़ित किया जाता था। विशेषरूप से, जब ईसाइयत का उदय हुआ तो उन्होंने वहाँ पर यहूदियों को पर्सिक्युट करना शुरू किया था। और क्योंकि इस्लाम भी लगभग वैसा ही मज़हब है इसमें पर्सिक्युट का जो पर्यायवाची शब्द है, वो है फ़ितना। जब आप किसीको मज़हब के कारण तंग करते हैं या प्रताड़ित करते हैं तो उसे फ़ितना कहा जाता है। हमारे देश में क्योंकि न तो इस प्रकार का कभी व्यवहार होता था और न ही ऐसी कोई मूल अवधारणा है, इसलिए इसका कोई शब्द आपको हिंदी या संस्कृत में नहीं मिलेगा तो हम इसे केवल प्रताड़ना मानकर ही चलेंगे। जब मैंने पहली बार फ़ैज़ान मुस्तफ़ा का ये विडिओ देखा तो बातें मुझे तुरंत खटकी। पहली ये कि ये जो लोग अपने को ज़्यादा पढ़ा लिखाबताते हैं, वो गौतम बुद्ध को बुद्धा कहना शुरू कर देते हैं। अँगरेज़ बुद्धा बोलते हैं, वो समझ में आता है, लेकिन हमारे ही देश के ये जो भूरी चमड़ी वाले लोग हैं, ये भी बुद्धा कहना शुरू कर देते हैं। दूसरा मुझे ये लगा जब इसने ये कहा कि मुझे शर्म आई तो मुझे लगा कि चलो कोई तो कम से कम ऐसा है जो मुसलमान घर में पैदा हुआ है लेकिन उसे इस बात की शर्म आई कि उन्होंने हमारे देश में बुद्धिज़्म का,बौद्ध मत का विनाश कर दिया। लेकिन जब थोड़ा सा आगे चले तब इसने अपना असली रंग दिखाया। इसका कहना ये है कि जो यहाँ पर बौद्ध मत का विनाश हुआ है, वो मुसलामानों ने नहीं किया, उससे पहले यहाँ पर जो हिन्दू थे, उन्होंने ये विनाश किया था। ये जो इसने कहा था कि हमने पर्सिक्युट किया, उस "हमने" में ये मुसलमानों की बात नहीं कर रहा। ये यहाँ पर हिन्दुओं की बात कर रहा है की जो यहाँ के मूल निवासी थे, जो सनातन धर्म था, उसने पर्सिक्युट किया है। ये भी देखिए ज़रा :-

अब एक और चीनी यात्री आते हैं, हियूंन सॉन्ग। जो इंडिया में आए 631 - 645 में। हर्षवर्धन का शासन हैं। वो क्या लिखता है, "वो लिखता है की छठी सदी का हूण शासक मिहिरकुल ने, जो एक शैव था, १६०० बौद्ध विहारों को तोड़ा और सहस्रों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या करवाई। ये था जिसके कारण चीन में मेरा सिर शर्म से झुका था। 

तो इन सज्जन का कहना है कि मिहिरकुल जो कि एक शिव भक्त था, उसने सहस्रों बुद्धों के मंदिर तोड़े, उनके स्तूप तोड़े और सहस्रों बुद्ध अनुयायियों का नरसंहार किया। इसके विषय में हम अगले भाग में चर्चा करेंगे। 

नमस्ते!

यदि अच्छा लगा है तो भाग 2 भी देखें। 

1 comment:

  1. Thanks for the amazing information that you provide on the videos and in this blog. It is our dream to eradicate abrahamic thinking and lifestyle from the country. We appreciate your efforts cordially in this fight.

    Yogesh Dutt

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